Raksha-bandhan
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I watched the film "#Raksha Bandhan." I know very well that it was also released one year ago in the year of 2022. But I want to give a review on the auspicious occasion of Rakhi Celebration.
It carries a profound message and is highly significant. I recommend that everyone should watch this movie along with their Family.
कहानी…
हम ज्यादातर मूवी मनोरंजन के लिए देखते है पर ये फिल्म बोहोत दिलचस्प है मनोरंजन के साथ समाज में होने वाली समस्याओं के बारे में सोचने पर विचार करने की प्रेरणा देती है। यह कहानी है चांदनी चौक में रहने वाला लाला केदारनाथ याने की अक्षय कुमार जो चाट की दुकान चलाते हैं । केदारनाथ की चार बहन हैं। ये कहानी में महत्वपूर्ण बात ये है की रिस्तो की महत्त्वपूर्णता , भाई- बहन का प्यार और सहायता दिखाती है। लाला केदारनाथ को चिंता है उनकी बहनों की शादी की और शादी में देने वाले दहेज की। इन शादियों के लिए केदारनाथ क्या-क्या करता है। इसी कहानी को आनंद राय ने बड़े सरल तरीके से दिखाया है. कहानी इतनी सरल है कि आपको लगेगा ये तो बहुत बार सुनी है लेकिन इसे जिस तरह से कहा गया है वो दिल को छू लेता है और आंखों में आंसू छोड़ जाता है।
On the day of Raksha Bandhan, his sister committed suicide because her In-laws wanted the refrigerator as a gift and they threaten her to either tell for the fridge or don’t go to her brother’s home. She choose to end her life to commit suicide because his brother almost gave her in-laws 18,000,00 as a dowry. At the end of the movie, we can see that another three sisters get married without dowry and she also achieves good posts for their earnings. Even attains good job positions for financial independence.
It is a naked or harsh reality of our society on the gift we are giving as a dowry.
किसी ने सच ही कहा है
औरतें बिकी तो वो तवायफ हुई,
और मर्द बीके तो दूल्हे।
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